यूसर्क द्वारा उच्च शिक्षा के विद्यार्थियों हेतु एक सप्ताह के पर्यावरण प्रौद्योगिकी विषयक हैंड्स ऑन प्रशिक्षण कार्यक्रम

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा अनुसंधान केंद्र देहरादून (यूसर्क) द्वारा भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान (भारतीय कृषि एवं अनुसंधान परिषद, भारत सरकार) के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 11 दिसंबर को आईसीएआर के सभागार में प्रारंभ हुआ।

इस अवसर पर यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने उद्बोधन में कहा कि सस्टेनेबिलिटी और इंक्लूसिव डेवलपमेंट में पर्यावरण विषय मुख्य रूप से केंद्रित रहता है जिसके ज्ञान को आज हमारे शिक्षण संस्थानों में प्रभावी रूप से प्रसारित करने की आवश्यकता है । पर्यावरण विषय पर प्रशिक्षित युवा अपने कौशल विकास के साथ अपने करियर को अच्छा बना सकते हैं साथ ही साथ अपने पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी कार्य कर सकते हैं। प्रोफेसर रावत ने कहा कि 21 वीं सदी में विज्ञान और तकनीकी विकास तेजी से परिवर्तित हो रहे हैं इसलिए आज यह जरूरी हो गया है कि कौशल एवं गुणों के नए नए आयामों को पहचाना जाए साथ ही साथ लर्निंग के प्रत्येक स्तर पर प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षण संस्थानों तक की अहम भूमिका हो। उन्होंने कहा कि आज जरूरत शोध, नवाचार और उद्यमिता को केन्द्रित किए जाने की है तभी वैश्विक स्तर पर सेवा, उद्योग या स्वरोजगार की स्पर्धा में आगे रहा जा सकता है।

इससे पूर्व कार्यक्रम समन्वयक वैज्ञानिक डॉ भवतोष शर्मा ने उपस्थित सभी लोगों का स्वागत करते हुए बताया कि विश्व पहाड़ दिवस के अवसर पर इस प्रशिक्षण का महत्व और अधिक बढ़ जाता है और यूसर्क द्वारा पर्यावरण संरक्षण की दिशा में कई कार्यक्रम संपादित किए जा रहे हैँ। उन्होंने बताया कि इस साप्ताहिक प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य के विभिन्न जिलों के 06 उच्च शिक्षण संस्थानों के स्नातक, स्नातकोत्तर एवं शोध स्तर के चयनित 26 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।

वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल ने यूसर्क की वैज्ञानिक गतिविधियों पर विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि यूसर्क द्वारा राज्य के दूरस्थ जनपदों में अवस्थित विभिन्न शिक्षण संस्थानों के विद्यार्थियों के लिए भिन्न भिन्न प्रकार के वैज्ञानिक कार्यक्रम लगातार संचालित किए जा रहे हैं। स्टेम प्रयोगशालाओं की स्थापना तथा विज्ञान चेतना केंद्रों की स्थापना के द्वारा विद्यार्थियों को विभिन्न वैज्ञानिक सिद्धांतों को प्रयोगात्मक रूप से सीखने का अवसर प्रदान किया जा रहा है।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि भारतीय मृदा एवं जल संरक्षण संस्थान के निदेशक डॉ एम. मधु ने अपने उद्बोधन में कहा कि आज हमको अधिक से अधिक सीखने के साथ साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी कार्य किए जाने की जरूरत है। आज युवाओं को स्किल्स में सुधार की बहुत आवश्यकता है।

आईसीएआर देहरादून के प्रधान वैज्ञानिक डॉ चरण सिंह ने देश में आईसीएआर द्वारा किए जा रहे वैज्ञानिक कार्यों पर विस्तार से बताया। उन्होंने भारत में हो रहे मृदा अपरदन के विषय पर विस्तार से बताया।

संस्थान की वैज्ञानिक डॉ रमा पाल ने संस्थान द्वारा घरेलू अपशिष्ट जल को फायटोरिमेडीएशन द्वारा शुद्ध किए जा रहे प्लांट पर ले जाकर बताया एवं व्याख्यान दिया ।

आईसीएआर के वैज्ञानिक डा अभिमन्यु झाझडीया ने संस्थान द्वारा पूरे भारत में किए जा रहे कार्यों पर व्याख्यान दिया एवं संस्थान के संग्रहालय का भ्रमण कराया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *