‘‘हिमालय दिवस-2023’’ के अवसर पर ‘‘आपदा प्रबन्धन में जन सहभागिता की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा सी0आई0एम0एस0, संस्थान, देहरादून के संयुक्त तत्वाधान में दिनांक 08 सितम्बर 2023 को ‘‘हिमालय दिवस-2023’’ के अवसर पर ‘‘आपदा प्रबन्धन में जन सहभागिता की भूमिका’’ विषय पर एक दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया गया।

कार्यक्रम में उपस्थित यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ0) अनीता रावत ने अपने सम्बोधन में कहा कि हिमालय की अस्मिता एवं अक्षुण्णता के लिये विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के माध्यम से समाज के प्रत्येक अंगो की भागीदारी एवं सहयोग सुनिश्चित करना होगा। प्रो0 रावत ने कहा कि ऐसी शिक्षा को बढ़ावा देना होगा जो प्रकृति की अखण्डता एवं प्रकृति का सममान करें। उन्होंने कहा कि पारिस्थितिकी के संरक्षण एवं संवर्धन की आवश्यकता को आत्मसात करते हुए हमें परंपरागत ज्ञान एवं अपनी संस्कृति के समावेश से पर्यावरणीय आचार-विचार एवं परंपरागत समाज के मूल्यों को पुनः स्थापित करना होगा।

कार्यक्रम में सी0आई0एम0एस0 संस्थान के चेयरमैन एडवोकेट ललित जोशी ने सभी अतिथियों का स्वागत करते हुये कहा कि हिमालय दिवस के अवसर पर हम सभी को हिमालय की रक्षा की प्रतिज्ञा लेनी होगी तभी हमारा पर्यावरण सुरक्षित होगा। श्री जोशी ने कहा कि आज विद्यार्थियों की भूमिका पर्यावरण के संरक्षण में बहुत महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि उनके संस्थान में प्रत्येक सप्ताह प्लास्टिक उन्मूलन कार्यक्रम संचालित किया जायेगा।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय, देहरादून के कुलाधिपति डा0 विजय धस्माना ने अपने सम्बोधन में कहा कि धरती हमारी माता है, जिसकी रक्षा की जिम्मेदारी हम सभी की है। हिमालयी क्षेत्रों के प्राचीन गांव, कृषिव्यवस्था, जीवन शैली एवं भवन निर्माण की शैली आदि सभी कुछ पर्यावरण के अनुकूल ही था लेकिन वर्तमान विकास के युग में इन सभी पद्वतियों में व्यापक रूप से परिवर्तन हुआ है जो कि पर्यावरण के प्रतिकूल है। हमें प्रकृति से ही उतना ही लेना है जितने की आवश्यकता हो।

डा0 धस्माना ने कहा कि भारतीय संस्कृति से ही विज्ञान की उत्पत्ति हुई है। अतः हमें विज्ञान के साथ-साथ अपनी संस्कृति एवं संसाधनों का संरक्षण करना होगा। उन्होंने कहा कि प्लास्टिक, पॉलीथिन इत्यादि कचरे को कूडे़दान इत्यादि में ही फेंकना चाहिये तथा पर्यावरण अनुकूल व्यवहार करना होगा तभी हिमालय और धरती की रक्षा हो सकेगी।

कार्यक्रम में यूसर्क वैज्ञानिक डा0 ओम प्रकाश नौटियाल ने कहा कि हिमालय हमें दृढ़ता से अपने कर्तव्य पथ पर डटे रहने का संदेश देता है। यदि हम अपनी आवश्यकताओ को सीमित रखते हुए विकास को गति प्रदान करेंगे तो धरती भी बचेगी, हिमालय भी सुरक्षित रहेगा एवम हम भी आपदाओं से स्वयं की सुरक्षा करने में सक्षम रहेगें।

कार्यक्रम में संस्थान के छात्र-छात्राओं द्वारा हिमालय के संरक्षण विषय पर भाषण, कवितायें, गीत एवं नुक्कड़ नाटक आदि प्रस्तुत किये गये।

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