Two Days Workshop on Some Applications Of Mathematics in Daily Life – March 01-02, 2023

प्रथम दिवस -March 01,2023

उद्गाटन सत्र में सर्वप्रथम मुख्य अतिथियों का रंगोली के पास तिलक लागाकर स्वागत किया गया। इस कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा सरस्वती चित्र के सम्मुख दीप प्रज्वलित कर किया गया, इस दौरान महाविद्यालय की छात्राओं के द्वारा सरस्वती वन्दना और अतिथियों के स्वागत में स्वागत गीत गाया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डाॅ0 राजेन्द्र सिंह राणा, विशिष्ठ अतिथि डाॅ0 भुवतोष शर्मा, वैज्ञानिक यूसर्क, देहरादून तथा अतिविशिष्ठ अतिथि आर0पी0 सुन्दरियाल, वरिष्ठ प्रवक्ता, रा0इ0का0 थलीसैंण उपस्थित रहे। छात्र संघ के सदस्यों के द्वारा अतिथियों का बैच अलंकरण किया गया। इसी क्रम में अतिथियों को बुके प्रदान किया गया। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रचार्य डाॅ0 रेनू रानी बंसल द्वारा की गई। कार्यक्रम के शुरूआत में इस कार्यक्रम के संयोजक डाॅ0 बिपेन्द्र सिंह रावत ने कार्यक्रम के उद्देश्यों व महत्व पर प्रकाश डाला तथा सभी अतिथियों का स्वागत सम्बोधन किया।

प्रथम दिवस के पहले व्याख्यान सत्र में डाॅ0 आर0एस0 राणा व डाॅ0 भवतोष शर्मा, वैज्ञानिक यूसर्क, तथा आर0पी0 सुन्दरियाल, वरिष्ठ प्रवक्ता ने अपने व्याख्यान प्रस्तुत किये।

  1. डाॅ0 राजेन्द्र सिंह राणा ने अपने व्याख्यान में सर्वप्रथम बताया की यूसर्क का उद्देश्य राज्य के दुर्गम व सीमान्त क्षेत्रों में विज्ञान शिक्षा व शोध को बढावा देना है। आगे उन्होने ‘‘वर्तमान दैनिक जीवन में गणित के अनुप्रयोग’’ विषय पर विस्तारपूर्वक बताया। उन्होने कहा की आज के समय में मानव जीवन कार्य घर से लेकर अन्तरिक्ष तक और बाजार से लेकर अस्पताल तक, गणित से जुड़ा हुआ है। सभी तकनीकी व साॅफ्टवेयर गणितीय एल्गोरिथम पर आधारित हैं, जिससे तमाम गैजेट्स-मोबाइल, कम्प्यूटर संचालित हो पाते हैं। इसके अतिरिक्त कृत्रिम बुद्विमत्ता , आर्किटेक्चर, मेडिकल सांइस में गणित का विशेष महत्व है।
  2. डाॅ0 भवतोष शर्मा ने ‘‘वैदिक गणित दर्शन व वर्तमान विज्ञान’’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने गणित में प्राचीन भारतीय विद्वानों के योगदान और उसके गौरव के विषय में विस्तारपूर्वक विवरण प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि महान यूरोपीय दार्शनिक वर्टियर रसेल ने विज्ञान के क्षेत्र में ‘‘शून्य’’ की खोज को भारत का महान योगदान बताया। साथ ही उन्होने मध्यकाल के महान अरब दार्शनिक व यात्री अलबरूनी के इस कथन का भी उल्लेख किया कि जब अरब के लोग एक हजार तक की संख्या से परिचित थे तब भारतीय विद्वान अठारह अंको वाली संख्या से परिचित थे। अंको के विकास क्रम को समझाते हुए डाॅ0 शर्मा ने कहा की भारतीय अंक पद्धति का प्रसार पहले भारत से अरब जगत में तथा वहाॅं से यूरोप में हुआ और आज यही पद्धति अन्तर्राष्ट्रीय अंक पद्धति के रूप में विकसित हुई है। इसके उपरान्त प्राचीन भारत में शल्य चिकित्सा, ज्यामिति व रेखागणित के विकास के बारे में भी बताया। उन्होने भारत के महान वैज्ञानिक व नोबल पुरस्कार विजेता डाॅ0 सी0बी0 रमन तथा डाॅ0 प्रफुल्ल चन्द राय के कार्यों व जीवन संघर्ष का उल्लेख भी अपने व्याख्यान में किया। अन्त में उन्होने वेदर, पाॅपुलेशन, मार्केट, स्पेस तकनीकी में गणनाओं की माॅडलिंग व फाॅरकास्टिंग में गणित के अनुप्रयोग के महत्व को समझाया।
  3. वरिष्ठ प्रवक्ता आर0पी0 सुन्दरियाल ने अपने व्याख्यान में विज्ञान में गणित के महत्व विषय पर विस्तारपूर्वक विवरण दिया। उन्होने बताया कि विज्ञान व गणित के विकास व अनुप्रयोग ने मानव जीवन शैली को पूरी तरह से बदल कर रख दिया है। आगे उन्होने महान वैज्ञानिक अल्बर्ट आइन्स्टाइन व थाॅमस एल्बा एडीसन के योगदान व जीवन संघर्ष के विषय में भी उल्लेख किया। अन्त में यह भी बताया कि 20वीं शताब्दी विज्ञान के विकास की दृष्टि से अभूतपूर्व रहा।

प्रथम दिवस के दूसरे व्याख्यान सत्र में डाॅ0 जे0सी0 भट्ट व डाॅ0 बी0एस0 रावत असि0 प्रो0 रा0स्ना0 महाविद्यालय ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया।

  1. डाॅ0 जे0सी0 भट्ट, असि0प्रो0- अर्थशास्त्र रा0स्ना0म0वि0 थलीसैंण ने अपने व्याख्यान में ‘‘गणित व अर्थशास्त्र का मानव जीवन में महत्व’’ विषय पर अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होने राष्ट्रीय आय के आगणन की विधियों, बैंकिंग व्यवस्था व ब्याज दरों के विषय में छात्र-छात्राओं को विस्तारपूर्वक बताया।
  2. डाॅ0 बी0एस0 रावत असि0 प्रो0-गणित, रा0स्ना0म0वि0 थलसैंण ने अपने व्याख्यान में दैनिक जीवन में गणित के अनुप्रयोग को विद्युत मीटर रिडिंग व बिल की दर भुगतान सम्बन्धी बारिकियों, ब्लड ग्रुप, आयु तथा टाइम जोन≤ गणना की विधियों के उदाहरणों से छात्र-छात्राओं को समझाया

द्वितीय दिवस – March 02 ,2023

कार्यशाला के द्वितीय दिवस के अवसर पर कार्यक्रम की शुरूआत अतिथियों के स्वागत से हुई। इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राचार्य डाॅ0 रेनू रानी बंसल ने की। द्वितीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि व वक्ता डाॅ0 डी0बी0सिंह, असि0 प्रो0 गणित एन0आई0टी0, उत्तराखण्ड तथा डाॅ0 सुधीर सिंह रावत, असि0 प्रो0 भौतिक विज्ञान, रा0स्ना0म0वि0 थलीसैंण उपस्थित रहे।

व्याख्यान सत्र- 1

द्वितीय दिवस के प्रथम व्याख्यान सत्र में डाॅ0 डी0बी0सिंह ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने अपना व्याख्यान ‘‘गणित का अनुप्रयोगः वैदिक से वर्तमान गणित तक’’ विषय पर प्रस्तुत किया। उन्होने गति, मैराथन के उदाहरणों से दैनिक जीवन में गणित के अनुप्रयोग को समझाया। साथ ही वैदिक गणित की विधियों से गुणा, भाग, वर्ग व पूरक संख्याओं को ज्ञात करना सीखाया। अन्त में वर्तमान प्रतियोगी परीक्षाओं में त्रिभुज गणना, वर्ग, आयत आदि के तर्कशक्ति (रिजनिंग) से सम्बन्धित पूछे जाने वाली समस्याओं को हल करने की विधियों से छात्र-छात्राओं को अवगत करवाया।

व्याख्यान सत्र- 2

द्वितीय दिवस के दूसरे व्याख्यान सत्र में डाॅ0 सुधीर सिंह रावत असि0 प्रो0 रा0स्ना0महाविद्यालय ने अपना व्याख्यान प्रस्तुत किया। उन्होने बताया कि विज्ञान प्रकृति का अध्ययन है तथा गणित विज्ञान की भाषा है। साथ ही उन्होने गुरूत्वाकर्षण बल व पाइथागोरस परिमेय का मानव जीवन में महत्व व उपयोग को उदाहरण सहित छात्र-छात्राओं को समझाया।

कार्यशाला का समापन-

कार्यक्रम के अन्तिम भाग में कार्यशाला के संयोजक डाॅ0 बी0एस0 रावत ने इस कार्यशाला के द्वितीय दिवस के मुख्य अतिथि डाॅ0 डी0बी0सिंह को स्मृति चिन्ह भेंट किया व इस आयोजन के सफल संचालन के लिए सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यशाला के समापन की घोषणा प्राचार्य डाॅ0 रेनू रानी बंसल द्वारा की गई। साथ ही उन्होने सभी वक्ताओं का आभार व्यक्त किया। उन्होने अपने सम्बोधन में सभी छात्र-छात्राओं को वैदिक गणित की विधियों को सीखने तथा प्रतियोगी परीक्षाओं में इन विधियों के लाभ के बारे में बताया। इसके उपरान्त सभी प्रतिभागी छात्र-छात्राओं को कार्यशाला के प्रमाण पत्रों का आबंटन किया गया।

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