उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा 28 दिसंबर 2021 को तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन प्रारंभ किया गया। स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों के लिये आयोजित इस कार्यक्रम का यूसर्क के सभागार में दीप प्रज्वलित कर शुभारम्भ किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्ष यूसर्क की निदेशक प्रो० (डॉ०) अनीता रावत ने कहा कि जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम के माध्यम से युवाओं में जल चेतना जागृत की जाएगी। साथ ही विद्यार्थियों को जल के विभिन्न आयामों जैसे जल की गुणवत्ता का अध्ययन, जल संरक्षण, जल स्रोतों का संवर्धन आदि की जानकारी विभिन्न व्याख्यानों, हैंड्स ऑन ट्रेनिंग, फील्ड विजिट के माध्यम से जागृत करने का कार्य किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यूसर्क द्वारा विगत पांच जून को आयोजित पर्यावरण दिवस के अवसर पर यह निर्णय लिया गया कि राज्य के जल स्रोतों के महत्व को देखते हुए यूसर्क जलशाला के माध्यम से मासिक आधार पर ‘जल शिक्षा कार्यक्रम’ एवं ‘जल विज्ञान प्रशिक्षण’ कार्यक्रमों का आयोजन किया जाये। इसी के अन्तर्गत प्रत्येक माह जल शिक्षा कार्यक्रम एवं जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन प्रारंभ किया गया है।
इस तीन दिवसीय जल विज्ञान प्रशिक्षण कार्यक्रम में देहरादून जनपद के पांच उच्च शिक्षण संस्थानों एसजीआरआर विश्वविद्यालय, ग्राफिक ऐरा (हिल) विश्वविद्यालय, डाॅल्फिन पी जी इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एण्ड नेचुरल साइंसेज, शहीद दुर्गामल्ल राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय डोईवाला, दून पीजी काॅलेज ऑफ एग्रीकल्चर साइंस एंड टेक्नोलॉजी के बीएससी एवं एमएससी कक्षाओं के 25 छात्र-छात्राओं द्वारा प्रतिभाग किया जा रहा है।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए प्रशिक्षण कार्यक्रम समन्वयक व यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ0 भवतोष शर्मा ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं विषय विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का महत्व बताया।
उन्होंने बताया कि कार्यक्रम के पहले और तीसरे दिन विशेषज्ञ व्याख्यान तथा हैंड्स ऑन टेनिंग प्रदान की जायेगी तथा दूसरे दिन इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ साॅयल एण्ड वाटर कंजर्वेशन देहरादून का भ्रमण कराया जायेगा।
प्रथम व्याख्यान में राष्ट्रीय जल विज्ञान संस्थान, रूड़की के वाटर रिसोर्स सिस्टम डिवीजन के विभागाध्यक्ष व वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० संजय जैन ने ‘रिमोट सेंसिंग एण्ड जीआईएस एप्लीकेशन्स इन वाटर रिसोर्सेज’ विषय के बारें में बताया कि रिमोट सेन्सिंग एवं जीआईएस तकनीकी द्वारा जल संसाधनों का वैज्ञानिक अध्ययन किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि सेटेलाइट में हाई रिसोल्यूशन कैमरे व सेन्सरों का प्रयोग करके पृथ्वी की सतह पर उपलब्ध सतही जल, भूजल, जल की गुणवत्ता, भूजल रिचार्ज, बर्फबारी आदि का अध्ययन किया जाता है तथा प्राप्त डाटा को विश्लेषित कर सटीक परिणाम प्राप्त किये जा सकते है। प्राप्त परिणामों का वैज्ञानिक अध्ययन करके जल संसाधनों के प्रबंधन हेतु कार्य योजना तैयार की जा सकती है।
प्रशिक्षण के तकनीकी सत्र का द्वितीय विशेषज्ञ व्याख्यान यूनिवर्सिटी ऑफ पेट्रोलियम एंड एनर्जी स्टडीज, देहरादून के प्रोफेसर (डॉ०) एन ए सिद्दीकी ने ‘अपशिष्ट जल प्रबंधन’ विषय पर अपना व्याख्यान दिया।
कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ० भवतोष शर्मा ने जल संरक्षण तथा जल गुणवत्ता अध्ययन विषय पर अपना व्याख्यान दिया तथा उपस्थित प्रतिभागियों को हैण्डस ऑन टेनिंग प्रदान की।
कार्यक्रम के अंत में डॉ० मन्जू सुन्दरियाल, वैज्ञानिक यूसर्क द्वारा समस्त विशेषज्ञों एवं प्रतिभागियों को धन्यवाद दिया गया। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ० भवतोष शर्मा, डॉ० मन्जू सुन्दरियाल, डॉ० राजेन्द्र सिंह राणा, आईसीटी टीम के ई० उमेश चन्द्र, ओम जोशी, शिवानी पोखरियाल, हरीश प्रसाद ममगांई, राजीव बहुगुणा, रमेश रावत सहित 40 लोगों द्वारा प्रतिभाग किया गया।