उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवम् अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा दिनांक 26 अक्टूबर 2021 को देवभूमि विज्ञान समिति, उत्तराखण्ड के संयुक्त तत्वाधान में ‘‘Water Education Lecture Series – Water Resource Management through Remote Sensing and GIS Techniques” विषय पर ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने संबोधन में कहा कि यूसर्क द्वारा जल संरक्षण, जल प्रबंधन, जल गुणवत्ता विषयक कार्यक्रमों को मासिक श्रंखला के आधार पर आयोजित किया जा रहा है जिसके क्रम में आज ‘‘वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट थ्रू रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. टैकनिक्स’’ विषय पर आॅनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया है। उन्होंने कहा कि रिमोट सेसिंग एवं जी.आई.एस. तकनीकी द्वारा उचित जल प्रबन्धन करके जल स्रोतों का संवर्धन व संरक्षण करना होगा।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए यूसर्क के वैज्ञानिक तथा कार्यक्रम समन्वयक डॉ भवतोष शर्मा ने उपस्थित अतिथियों, विशेषज्ञों तथा प्रतिभागियों का स्वागत करते हुये कार्यक्रम के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. तकनीक द्वारा जलस्रोतों का प्रबन्धन बहुत ही वैज्ञानिक ढंग से किया जा सकता है तथा भविष्य के लिये जलस्रोतों का संरक्षण आज की अत्यंत आवश्कता है।
कार्यक्रम के मुख्य वक्ता एवं विषय विशेषज्ञ डा0 एस0पी0 अग्रवाल, निदेशक नाॅर्थ ईस्टर्न स्पेस एप्लीकेशन सेंटर, मेघालय (अंतरिक्ष विभाग, भारत सरकार) ने ‘‘वाटर रिसोर्स मैनेजमेंट थ्रू रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. टैकनिक्स’’ (सुदूर संवेदन एवं भौगोलिक सूचना प्रणाली तकनीकों के द्वारा जल संसाधनों का प्रबन्धन) विषय पर व्याख्यान दिया। प्रो0 अग्रवाल ने अपने व्याख्यान में विभिन्न जीओस्पेशियल तकनीकों तथा जल स्रोतों के अध्ययन में उपयोगी विभिन्न सेटेलाईट जैसे- रिसोर्ससैट-2, कार्टोसैट-2, लिस-4 के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने अपने व्याख्यान में रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. द्वारा जलस्रोतों का मापन, माॅनिटरिंग, माॅडलिंग, डिजिटल एलीवेशन माॅडल, जीओरैफ्रेसिंग आदि के बारे में बताते हुये भारत के विभिन्न राज्यों में स्थित जलाशयों, नदियों, ग्लेशियर का अध्ययन करना सिखाया। भारत के विभिन्न कृषि कार्यों के लिये जल की उपलब्धता एवं भविष्य की जल की आवश्यकता हेतु जलस्रोतों के संरक्षण में रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. तकनीकि को बहुत उपयोगी बताया। उन्होंने बताया कि इन तकनीकों के द्वारा जलस्रोतों में उपस्थित जल की मात्रा तथा उसकी गुणवत्ता का अध्ययन किया जा सकता है। हाइड्रोलाॅजिकल माॅडलिंग एवं जलवायु परिवर्तन अध्ययन संबंधी कार्यों में रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. तकनीकि बहुत उपयोगी है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुये देवभूमि विज्ञान समिति, उत्तराखण्ड के अध्यक्ष प्रो0 के0डी0 पुरोहित ने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य के जलस्रोतों के संरक्षण एवं संवर्धन में रिमोट सेन्सिग एण्ड जी.आई.एस. तकनीक का प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने व्याख्यान को विद्यार्थियों एवं वैज्ञानिकों के साथ-साथ आम जनमानस के लिये बहुत उपयोगी बताया।
कार्यक्रम का धन्यवाद ज्ञापन यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल द्वारा किया गया। कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ ओम प्रकाश नौटियाल, डॉ मंजू सुंदरियाल, डॉ राजेंद्र सिंह राणा, डॉ भवतोष शर्मा, ऋषिहुड विश्वविद्यालय के जल संसाधन विभाग के निदेशक श्री संजय गुप्ता, डा0 लोकेश जोशी, आईसीटी टीम के इ0 उमेश चन्द्र, इ0 ओम जोशी, इ0 राजदीप जंग, शिवानी पोखरियाल, डा0 विपिन सती, हरीश प्रसाद सहित विभिन्न शिक्षण संस्थाओं के स्नातक, स्नातकोत्तर स्तर के विद्यार्थियों, शिक्षकों, स्मार्ट ईको क्लब प्रभारियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम में कुल 106 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया गया। कार्यक्रम के अंत में उपस्थित प्रतिभागियों के प्रश्नों का समाधान विषय विशेषज्ञ डा0 एस0पी0 अग्रवाल द्वारा किया गया।