
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) देहरादून द्वारा हिमालयन अध्ययन मिशन वित्त पोषित परियोजना के अन्तर्गत ‘पारिस्थितिकीय सेवाओं का महत्व एवं आकंलन की विधि’ में शोध किया जा रहा है जिसके अन्तर्गत दो दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम दिनांक 29-30 सितम्बर 2021 तक उत्तराखण्ड वन विभाग चकराता के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
कार्यक्रम का शुभारंभ यूसर्क की वैज्ञानिक डा0 मन्जू सुन्दरियाल द्वारा सभी मुख्य अतिथिगणों, प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों का स्वागत करते हुये किया गया तथा उन्होंने पारिस्थितिकीय सेवाओं के बारे में जानकारी प्रदान की। डा0 सुन्दरियाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि प्रकृति द्वारा प्रदत्त पारिस्थितिकीय सेवाओं का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है किन्तु इन सेवाओं के महत्व को अनदेखा किया जाता रहा है। अतः प्रकृति की इन महत्वपूर्ण सेवाओं को पहचान कर उनके आंकलन के द्वारा ही वास्तविक मूल्य को आंका जा सकता है, जिसके लिये यह प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यन्त महत्वपूर्ण साबित होगा।
कार्यक्रम के प्रथम दिवस में यूसर्क की निदेशक प्रोफेसर (डॉ) अनीता रावत ने अपने संदेश के द्वारा बताया कि आज के बदलते परिवेश व पर्यावरणीय समस्याओं हेतु यूसर्क द्वारा आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम अत्यन्त महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की शिक्षा बाल्यकाल से ही दी जानी चाहिए, जिसे दैनिक दिनचर्या में शामिल होना आवश्यक है और इस प्रयोग में विद्यालयी शिक्षा तथा शिक्षार्थियों की सशक्त भूमिका होगी।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री नरेन्द्र त्रिपाठी, प्रभागीय वनाधिकारी, चकराता ने अपने संदेश में यूसर्क के द्वारा आयोजित कार्यशाला को वन अधिकारियों हेतु महत्वपूर्ण बताया, उन्होंने कहा पर्यावरण संरक्षण, पारिस्थितिकीय संतुलन व जलवायु नियंत्रण में वनों की महत्वपूर्ण भूमिका है। अतः भविष्य में गम्भीर समस्याओं से निपटने के लिये इस तरह के प्रशिक्षण होने आवश्यक है।
कार्यक्रम में ऋषिकेश पी0जी0 काॅलेज, देहरादून के प्रो0 डा0 गुलशन ढींगरा द्वारा Ecosystem services and its mainstreaming in development planning process विषय पर अपने व्याख्यान के द्वारा बताया कि जैवविविधता का हमारे जीवन में महत्वपूर्ण योगदान है और इसकी कमी का होना जलवायु परिवर्तन का मुख्य कारण है, साथ ही उन्होंने प्रकृति द्वारा प्रदत्त पारिस्थितिकीय सेवाओं के बारे में विस्तार से समझाया तथा इनके महत्व को समझना आवश्यक बताया।
इसी क्रम में डा0 गजेन्द्र सिंह, वैज्ञानिक, उत्तराखण्ड अन्तरिक्ष उपयोग केन्द्र (यूसैक) द्वारा Best Practices on Watershed Management विषय पर व्याख्यान दिया। उन्होंने जलागम प्रबन्धन के कुछ जल प्रयोगों के बारे में विस्तार से समझाया, इसके साथ ही उन्होंने बताया कि पारिस्थितिकीय सेवाओं के पहचानने और उनके आंकलन में वन विभाग की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है जिसमें यह प्रशिक्षण बहुत लाभदायक होगा। रेंज अधिकारी श्री बिज्लवाण जी ने यूसर्क द्वारा बनाये गये प्रशिक्षण मैनुअल को वन अधिकारियों के लिये लाभदायक बताया। इसी क्रम में रेंज अधिकारी श्री हिंगवाण जी ने आयोजित प्रशिक्षण कार्यक्रम को वन विभाग के लिये आवश्यक बताया।
यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा बताया कि पर्यावरण संरक्षण में यूसर्क द्वारा स्थापित स्मार्ट ईको क्लब की भूमिका महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम में यूसर्क की वैज्ञानिक एवं परियोजना अन्वेषक डा0 मन्जु सुन्दरियाल, डा0 राजेन्द्र सिंह राणा, डा0 बिपिन सती, राधिका सूद, राजदीप जंग एवं वन संरक्षक, वन दरोगा, वन क्षेत्र अधिकारी सहित 65 प्रतिभागियों द्वारा प्रतिभाग किया।