Himalayan Day 2021

यूसर्क द्वारा हिमालय दिवस के अवसर पर ‘‘मानवीय चेतना एवं संवेदनाओं का अजस्त्र पुंज-हिमालय’’ विषय पर कार्यक्रम का आयोजन

उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून तथा देवभूमि विज्ञान समिति (उत्तराखण्ड) द्वारा ऑनलाइन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। 9 सितम्बर हिमालय दिवस के अवसर “मानवीय चेतना एवं संवेदनाओं का अजस्त्र पुंज-हिमालय” के विषय पर एक दिवसीय यह कार्यक्रम “स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव” की श्रृंखला में आयोजित किया गया।

डॉ० मंजू सुन्द्रियाल ने अतिथियों का स्वागत किया। कार्यक्रम में हिमालय के संरक्षण हेतु सक्रिय विभूतियों में पं० नैन सिंह रावत, गौरा देवी, बाबू राधानाथ सिकदर आदि के द्वारा किये गये कार्यों पर विशिष्ट व्याख्यान दिये गये।

यूसर्क की निदेशिका प्रो० डॉ० अनीता रावत द्वारा विद्वत वक्तागणों, प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों का स्वागत किया गया। डॉ० रावत ने अपने संबोधन में कहा कि हिमालय आध्यात्मिक चेतना के केन्द्र बिन्दु के साथ ही इस धरती पर जीवन और जीवन की उत्तरजीवितता के लिए आवश्यक प्राकृतिक संसाधनों का अक्षुण्ण भण्डार है। भारत के प्राचीन ज्ञान के साथ ही वेद, उपनिषद, पुराण तथा अंतरिक्षीय ज्ञान की उत्पत्ति हिमालय में ही हुई है। उन्होंने कहा कि यूसर्क द्वारा हिमालय के परम्परागत ज्ञान के अभिलेखीकरण, मुख्य नदियों व उनकी सहायक नदियों की सफाई, संरक्षण, रिजुविनेशन संबंधित कार्यों के डाटा आदि का अभिलेखीकरण किया जायेगा।

ई० जयन्त सहस्त्रबुद्धे, राष्ट्रीय संगठन सचिव, विज्ञान भारती ने कहा कि हिमालय हमारी परम्परागत ज्ञान, प्राकृतिक संसाधनों का भंडार है। हम सभी को सतत विकास की अवधारणा का अनुसरण करते हुये अपने राष्ट को आगे बढ़ाना है। उन्होंने कहा कि हिमालयी भू-भाग में अवस्थित विभिन्न प्राकृतिक संसाधनों का संरक्षण करना होगा।

पद्मश्री प्रो० शेखर पाठक ने प्रतिष्ठित इतिहासकार ने पं० नैन सिंह रावत द्वारा हिमालयी क्षेत्र में किये गये सर्वे कार्यों पर व्याख्यान दिया। उन्होंने कहा कि पं० नैन सिंह रावत ने सैंकड़ों वर्ष पूर्व बिना किसी अत्याधुनिक उपकरण की सहायता से अत्यन्त कठिन परिस्थितियों में हिमालयी भू-भाग का सटीक सर्वेक्षण कार्य पूर्ण किया था। बाद में ब्रिटिश शासन द्वारा भी उनके द्वारा किये गये अद्वितीय कार्य को मान्यता देनी पड़ी थी। प्रो० शेखर पाठक ने अपने व्याख्यान में पं० नैन सिंह रावत के सम्पूर्ण जीवन परिचय को बहुत ही जीवंत रूप से समझाया।

कार्यक्रम में डॉ० किरन पुरोहित, सचिव, श्री नंदा देवी महिला लोक विकास समिति, गोपेश्वर द्वारा श्रीमती गौरा देवी के द्वारा हिमालय भू-भाग में पर्यावरण संरक्षण हेतु किये गये कार्यों को बताया गया। उन्होंने कहा कि हिमालयी क्षेत्र की अर्थव्यवस्था में महिलाओं द्वारा विशेष योगदान दिया जा रहा है।

देव भूमि विज्ञान समिति (उत्तराखंड) के अध्यक्ष प्रो० के० डी० पुरोहित ने अपने संबोधन में कहा कि उत्तराखंड राज्य के विभिन्न भू-भागों में अनेक पर्यावरणविदों ने हिमालय को बचाने का कार्य किया है। उन्होंने कहा कि देव भूमि विज्ञान समिति विज्ञान के क्षेत्र में कार्य करने वाले विभिन्न वैज्ञानिकों एवं शिक्षकों के माध्यम से युवा पीढ़ी को आधुनिक विज्ञान के साथ-साथ परम्परागत लोक विज्ञान से जोड़ने का कार्य कर रही है।

डॉ० ओम प्रकाश नौटियाल ने समापन पर धन्यवाद ज्ञापित किया। उन्होंने कहा कि यूसर्क व्याख्यान माला के अंतर्गत प्रतिष्ठित लोगों को बुलाकर ऐसे विभूतियों पर व्याख्यान आयोजित करने की बात कही।

कार्यक्रम में यूसर्क के वैज्ञानिक डॉ० ओम प्रकाश नौटियाल, डॉ० मंजू सुंद्रियाल, डॉ० भवतोष शर्मा, डॉ० विपिन सती, शिवानी पोखरियाल, हरीश ममगांई, ओम जोशी, उमेश जोशी, राजदीप जंग, रमेश रावत, राजीव बहुगुणा आदि लोगों ने प्रतिभाग किया। कार्यक्रम में देव भूमि विज्ञान समिति के सचिव डॉ० हेमवती नंदन, डॉ० लोकेश जोशी सहित स्मार्ट ईको क्लबों के प्रभारी शिक्षक गण, विद्यार्थी सहित विभिन्न विश्वविद्यालयों के 85 छात्र-छात्राओं तथा शिक्षकों द्वारा प्रतिभाग किया।

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