तीन दिवसीय जल शिक्षा कार्यक्रम – जल स्रोतों का संरक्षण, संवर्धन एवं उनकी जल गुणवत्ता अध्ययन

तृतीय दिवस

उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) में स्थापित जलशाला (नदी पुनर्जीवन केन्द्र) के अन्तर्गत आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय ‘‘जल संरक्षण एवं जल गुणवत्ता’’ प्रशिक्षण कार्यक्रम के तीसरे व अंतिम दिन प्रतिभागियों को व्याख्यान एवं हैन्ड्स आॅन टेªनिंग प्रदान की गई। प्रशिक्षण कार्यक्रम में सेवानिवृत्त वैज्ञानिक व भूगर्भशास़्त्री डा0 देवेन्द्र शर्मा ने ‘‘रिमोट सेंन्सिंग व जी0आई0एस0 तकनीकी आधारित जलसा्रेतों का वैज्ञानिक अध्ययन एवं पुनर्जीवन’’ विषय पर विस्तार पूर्वक उपस्थित छात्र-छात्राओं को व्याख्यान दिया।

प्रशिक्षण कार्यक्रम में दूसरा व्याख्यान यूसर्क वैज्ञानिक डा0 भवतोष शर्मा ने ‘‘जल संरक्षण तकनीकियों का व्यवहारिक उपयोग व जल गुणवत्ता अध्ययन’’ विषय पर देते हुये बताया कि पहाड़ी एवं मैदानी क्षेत्रों में कौन से तरीके अपनाकर जलसा्रेतों का संरक्षण, संवर्धन एवं पुनर्भरण किया जा सकता है। पेयजल की गुणवत्ता का अध्ययन व उनका स्वस्थ्य प्रभाव अध्ययन विस्तारपूर्वक बताया।

यूसर्क के वैज्ञानिक डा0 राजेन्द्र सिंह राणा ने उपस्थित प्रतिभागियों को प्रयोगशाला एवं फील्ड में जलगुणवत्ता जांचने की विभिन्न वैज्ञानिक विधियों को बताया एवं हैन्ड्स आन टेªनिंग प्रदान करते हुये जल गुणावत्ता अध्ययन की आवश्यकता पर बल दिया। सभी प्रतिभागियों द्वारा जलशाला स्थित विभिन्न प्रयोगशालाओं में भ्रमण किया एवं वैज्ञानिक उपकरणों की क्रिया विधि को समझाया। इस तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में, डी0ए0वी0 महाविद्यालय देहरादून व ग्राफिक ऐरा पर्वतीय विश्वविद्यालय देहरादून के छात्र-छात्राओं द्वारा प्रशिक्षण प्राप्त किया जा रहा है। कार्यक्रम का संचालन कार्यक्रम समन्वयक डा0 भवतोष शर्मा द्वारा किया गया वं धन्यवाद ज्ञापन डा0 राजेन्द्र सिंह राणा द्वारा किया गया।

द्वितीय दिवस

उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा आयोजित किये जा रहे तीन दिवसीय ‘‘जल संरक्षण एवं जल गुणवत्ता’’ प्रशिक्षण कार्यक्रम के दूसरे दिन प्रशिक्षणार्थियों को राजपुर रोड़ स्थित उत्तराखण्ड जल संस्थान के वाटर ट्रीटमेंट प्लान्ट का भ्रमण कराया गया, जिसमें यूसर्क के वैज्ञानिकों एवं उत्तराखण्ड जल संस्थान की तकनीकी टीम द्वारा विस्तृत रूप से प्लांट में साफ किये जा रहे पेयजल की विभिन्न प्रक्रियाओं को वैज्ञानिक ढंग से समझाया गया। संस्थान परिसर में श्री फतेह सिंह नेगी ने प्लांट से सम्बन्धित सभी कार्यों को बारीकी से बताते हुये पेयजल उपलब्धता एवं आपूर्ति विषयक सभी प्रश्नों का समाधान भी किया। तत्पश्चात संस्थान परिसर में जलगुणवत्ता प्रयोगशाला में हो रहे अध्ययन को भी विशेषज्ञों द्वारा बताया गया।

भ्रमण के द्वितीय चरण में सभी प्रशिक्षणार्थियों को शुक्लापुर स्थित हैस्को परिसर का भ्रमण कराया गया। हैस्को के भूवैज्ञानिक श्री विनोद खाती ने व्याख्यान के माध्यम से हैस्को द्वारा किये जा रहे जल संरक्षण एवं भूजल रिचार्ज कार्यों को विस्तारपूर्वक समझाया। श्री खाती ने राज्य में एवं अन्य जगहों पर रिचार्ज किये गये जलस्रोतों की अपनायी गयी विभिन्न कार्यविधियों को बताते हुये विभिन्न प्रश्नों का समाधान भी प्रस्तुत किया। इसके पश्चात हैस्को स्थित आसन नदी की सहायक नदी, जिसे हैस्को नदी कहा गया है, का उद्गम से हैस्को तक पुनर्जीवित करने के कार्यों को नदी के किनारे ले जाकर समझाया गया। हैस्को द्वारा संचालित किये जा रहे पर्यावरण संरक्षण कार्यों को बताते हुये पूर्ण परिसर का भ्रमण कराया गया। वरिष्ठ वैज्ञानिक डा0 सुभाष नौटियाल ने विभिन्न जैविक उत्पादों, औषधीय पौधों की कृषि आदि विषयों पर विस्तार पूर्वक जानकारी दी। तत्पश्चात यूसर्क के बसंत विहार स्थित सभागार में यूसर्क द्वारा किये जा रहे सभी वैज्ञानिक कार्यों को दिखाया गया।

यूसर्क जलशाला में तीन दिवसीय जल संरक्षण व जल गुणवत्ता प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा अपने परिसर में स्थापित किये गये जलशाला (नदी पुनर्जीवन केन्द्र) में आज तीन दिवसीय ‘‘जल संरक्षण एवं जल गुणवत्ता’’ विषय पर तीन दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम (दिनांक 06 से 08 जनवरी 2020) का शुभारंभ किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए यूसर्क के निदेशक प्रो0 दुर्गेश पंत ने जलशाला केन्द्र को यूसर्क द्वारा प्रारंभ किये जाने विषय पर विस्तृत जानकारी देते हुये बताया गया कि यह कार्यक्रम राज्य के जलसा्रेतों को बचाने एवं उनके संरक्षण हेतु प्रारंभ किया गया है। जलशाला केन्द्र पर चल रही विभिन्न वैज्ञानिक गतिविधियों के बारे में प्रो0 पन्त ने विस्तारपूर्वक बताया।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि माननीय मुख्यमंत्री उत्तराखण्ड के मीडिया सलाहकार श्री रमेश भट्ट ने अपने संबोधन में बोलते हुये कहा कि पानी ही हमारे जीवन का मुख्य आधार है। जलस्रोतों का संरक्षण बहुत आवश्यक है। पहाड़ी नौले, धारे आदि को पुनर्जीवित किया जाना अत्यन्त आवश्यक है।

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