विकल्प स्कूल में यूसर्क द्वारा अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस

अन्तर्राष्ट्रीय दिव्यांगजन 2018 के अवसर पर निःशक्त प्रशिक्षण एवं पुनर्वास केंद्र कांवली रोड़ देहरादून द्वारा चलाये जाने वाले विकल्प स्कूल में जाने का मौका मिला। यह दिवस विकल्प स्कूल और उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र-यूसर्क द्वारा संयुक्त रूप से इस स्कूल में मनाया गया। स्कूल की स्थापना की बड़ी ही दिलचस्प कहानी है।

स्कूल की संस्थापिका भारती पांडे जी के बेटे के दिव्यांग होने के कारण उन्होंने हार नहीं मानी, बल्कि इसे एक चुनौती के तौर पर लेते हुए बेटे सुमित पांडे के लिए ही एक दिव्यांग स्कूल खोलने की ठानी जिसे ‘विकल्प’ नाम दिया गया। यह स्कूल निशक्तजन प्रशिक्षण एवं पुनर्वास केंद्र के तत्वाधान में 2008 से शुरू हुआ। पांच महीनों में ही स्कूल में 21 बच्चों ने प्रवेश लिया।

यहां बच्चों को साक्षरता, कौशल विकास, व्यवसायिक प्रशिक्षण, कंप्यूटर प्रशिक्षण, इन डोर एवं आउटडोर खेल, वित्तीय एवं पर्यावरण जागरूकता, मोमबत्ती, लिफाफा, पेंटिग, कुकिंग, समेकित शिक्षा के अन्तर्गत सामान्य बच्चों की गतिविधियां- वृक्षारोपण, स्वच्छता अभियान जैसी संस्थागत गतिविधियां कराई जाती हैं। अपने भ्रमण के दौरान इनमें से कई गतिविधियों का प्रदर्शन एवं बच्चों की प्रतिभा देखकर हम दंग रह गए। बच्चों की दोनों अध्यापिकाएं रश्मि और अर्चना अपने सुंदर अध्यापन कौशल हेतु बधाई की पात्र हैं।

इसके साथ ही पाठ्यक्रम के अलावा बच्चों को कुकिंग, वाशिंग, प्रेसिंग, इंडोर गेम, ध्यान, योग, नृत्य और नाट्य प्रस्तुतियां, संवाद कौशल आदि भी सिखाया जाता है। संस्थान की अपनी पत्रिका ‘श्रीफल’ नाम से प्रकाशित होती है। यह प्रयोग बच्चों को आत्मविश्वास से भर कर खुश कर देते हैं।

यूसर्क द्वारा इस वर्ष विकल्प स्कूल के बच्चों के साथ उनका यह खास दिवस मनाना तय हुआ। इस दो दिवसयीय कार्यक्रम में मुझे भी यूसर्क टीम के साथ विकल्प की गतिविधियों को नजदीक से देखने-समझने का मौका मिला। बच्चों द्वारा उस दिन खास तौर पर लगाया गया हाट बाजार आकर्षण का केन्द्र था। बच्चों की दुकानों में दिव्यांग बच्चे अपना सामान बेच रहे थे। इसका उद्देश्य बच्चों को हिसाब-किताब, नाप तौल, मुद्रा की पहचान और उनको बाजार व्यवस्था की जानकारी देना था। बच्चों के द्वारा बनाई मोमबत्तियां और अन्य क्राफ्ट को देखकर मन खुश हो गया। पहले दिन बच्चों के लिए मेंढक रेस, बाधा रेस, रिंग थ्रो, बोलिंग, रेस का आयोजन हुआ. दुसरे दिन हाट बाज़ार, नाटक मित्र की सौगात का मंचन हुआ.

बच्चों ने अपने साथी सुमित पांडे का जन्मदिन मनाया। हर बच्चे को हरेक का जन्मदिन पता है। वह इंतजार करते हैं कि कब किसका केक कटे और हम डांस करें। बच्चे साल भर मोमबत्तियां बनाकर उसे स्कूल के दीपोत्सव पर बेचते हैं। यहां अभिवावकों के लिए खेल भी हुए। यहां स्थानीय सीनियर सिटीजन बड़ी संख्या में शामिल थे। यह सब मिलकर इस स्कूल को सर्पोट करते हैं।

इस मौके पर यूसर्क निदेशक प्रोफेसर दुर्गेश पंत ने कहा मैं नहीं जानता हूं कि ईश्वर की इस सुंदर सृष्टि में कौन जाने ये दिव्यांग बच्चे किस ऋषि मुनि के रूप में यहां उपस्थित होकर हमें आर्शीवाद दे रहे हैं। इन बच्चों के साथ काम करने से बड़ा कोई कार्य दुनिया में नहीं है। क्योंकि यह हमारी दुनिया के खांचों में फिट नहीं बैठते तो हम इनको आसानी से दिव्यांग कह देते हैं। पता नहीं यह लोग इस ब्रहमांड के किस कोने से आई हुई पुण्य आत्माएं हैं। इनकी सेवा करना ही सबसे सुन्दर मानवीय कार्य है। मैं इस सुंदर स्कूल में पढ़ने वाले इन अनोखे बच्चों और इस पुनीत काम को आगे बढ़ाने वाले महानुभावों भारती पांडे जी, कमला पंत जी, एम.सी. पांडे, शैल बाला ममंगाई, सविता कपूर, अरूणा अदलखा, लोकेश नवानी, डा.फारूख, मधु बेरी, ओ.पी. नागिया, डा. जयंत नवानी, जोगेन्द्र पुंडीर, ओ.पी.कौशिक, अरूणा चावला समेत समस्त उपस्थित अग्रजों का यूसर्क परिवार की ओर से अभिवादन करता हूं कि आप जिस पुनीत काम को कर रहे हैं उनके लिए कोई शब्द मेरे पास नहीं हैं। मैं यहां आकर सच में गद्गद् हो रहा हूं। आप सभी को बधाई!

इस सुंदर कार्यक्रम में विकल्प के सीनियर सिटीजनस की एक बड़ी टीम ने बच्चों के कार्यक्रमों का आनंद उठाया। यूसर्क टीम से डा. ओ.पी.नौटियाल, अनुराधा ध्यानी, कुसुम रावत मौजूद थे। कार्यक्रम का संचालन अरूणा चावला जी ने किया।

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