
उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) द्वारा सीआईएमएस, देहरादून में स्थापित किए गए यूसर्क एग्रो इकोलॉजी इंटरप्रैन्योरशिप डेवलपमेंट सेन्टर के अंतर्गत “प्लांट टिश्यू कल्चर, मशरूम स्पाॅन प्रोडक्शन एवं वर्मी कंपोस्ट” विषय पर आयोजित 5 दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का सफल समापन हो गया है।
प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित उत्तराखण्ड लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रो. जे. एम. एस. राणा ने यूसर्क की इस पहल की सराहना करते हुए कहा कि ऐसे प्रशिक्षण कार्यक्रम युवाओं को नई तकनीकों से जोड़ने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में सहायक सिद्ध होंगे। उन्होंने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि यह आपके लिए बहुत बड़ा अवसर है। टिश्यू कल्चर आज की बहुत बड़ी तकनीक है। और यह बहुत सरल भी है। आज के विज्ञान की भाषा में इसे “गार्डनर टेक्नोलॉजी” कहते हैं। कोई भी माली, जो अपने परिवेश के प्रति सजग हो, वह इस तकनीक को कर सकता है। लेकिन इस तकनीक के प्रभाव देखिए, आप ऐसे पौधों को बचा सकते हैं जिनके बीज नहीं होते। रेड डाटा बुक में गए पौधों को फिर से उगाया जा सकता है। आप सोचिए, इसकी कितनी विशाल संभावनाएं हैं। यह आप पर निर्भर करता है कि आप इसका कितना उपयोग करना चाहते हैं। उन्होंने मशरूम पर बात करते हुए कहा कि बाजार में मशरूम 50 से 100 रुपये प्रति किलो मिलती है। लेकिन कुछ मशरूम हजारों से लाखों रुपये प्रति किलो बिकती हैं। जो लोग मशरूम की न्यूट्रिशन, मेडिसिनल एप्लिकेशन और अन्य संभावनाएं समझते हैं, उनके लिए आसमान भी सीमा नहीं है।
प्रो. राणा ने कहा आपने तीसरा प्रशिक्षण वर्मी तकनीक का लिया, गांवों में लोग 20-25 किलो की रिंगाल की टोकरी भरकर खेत में डालते हैं। लेकिन बर्मीज़ के साथ आप वही पोषण हाथ के बैग से खेत में पहुंचा सकते हैं। आपको केवल इसे वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझना है।
यूसर्क की निदेशक प्रो. (डॉ.) अनीता रावत ने यूसर्क द्वारा चलाए जा रहे विभिन्न वैज्ञानिक कार्यक्रमों और पहलों की जानकारी प्रतिभागियों के साथ साझा की। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण आपकी सफलता और उज्ज्वल भविष्य के नए मार्ग प्रशस्त करेगा। इस प्रकार के प्रशिक्षण आपके वैज्ञानिक दृष्टिकोण को व्यापक बनाएंगे, और आपके कौशल का विकास करेंगे।
कार्यक्रम में सीआईएमएस एंड यूआईएचएमटी ग्रुप ऑफ कॉलेज के चेयरमैन एडवोकेट ललित मोहन जोशी ने प्रशिक्षण शिविर आयोजित करने के लिए यूसर्क का धन्यवाद अदा किया, और प्रतिभागियों को शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि यह प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रदेश में जैव प्रौद्योगिकी, सतत कृषि एवं उद्यमिता को प्रोत्साहित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
कार्यक्रम के दौरान एफआरआई, देहरादून की वैज्ञानिक डॉ. मोनिका चौहान ने प्रशिक्षुओं को प्लांट टिश्यू कल्चर, टैक्जीन के सीनियर वैज्ञानिक प्रशांत कुमार चौधरी ने मशरूम स्पॉन उत्पादन, एनजीपी मृदा प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर गौरव सुयाल ने वर्मी कम्पोस्ट से संबंधित तकनीकी पहलुओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने इन विषयों में संभावनाओं, तकनीकी चुनौतियों और समाधान पर गहराई से प्रकाश डाला। साथ ही प्रयोगशाला में प्रशिक्षणार्थियों को हैंड्स-ऑन ट्रेनिंग कराई।
अतिथियों द्वारा कार्यक्रम में उपस्थित समस्त प्रतिभागियों प्रशिक्षण प्रमाण पत्र प्रदान किये। कार्यशाला में बी.एल.जे. राजकीय पीजी कॉलेज पुरोला, उत्तरकाशी से 7, डी.ए.वी. (पी.जी.) कॉलेज, देहरादून से 2, देवभूमि उत्तराखंड विश्वविद्यालय से 7, दून विश्वविद्यालय से 4 प्रशिक्षणार्थी सहित कुल 20 विद्यार्थियों ने प्रशिक्षण प्राप्त किया।
प्रशिक्षण कार्यक्रम में सीआईएमएस कॉलेज ऑफ पैरामेडिकल के प्रधानाचार्य डॉ. के. एस. नेगी, यूसर्क एग्रो इकोलॉजी इंटरप्रैन्योरशिप डेवलपमेंट सेन्टर सीआईएमएस एंड आर देहरादून के केन्द्र समन्वयक डॉ. रंजीत कुमार सिंह, सह सहमन्वयक डॉ. दीपिका विश्वास, कमल जोशी एवं सीआईएमएस के शिक्षक गण उपस्थित रहे।