उत्तराखंड विज्ञान शिक्षा और अनुसंधान केंद्र (यूसर्क) देहरादून, विज्ञान सेतु फोरम, डॉल्फिन इंस्टीट्यूट एवं मालवीय मिशन शिक्षक प्रशिक्षण केंद्र (MMTTC) रामनुजम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्याल के संयुक्त तत्वाधान से दिनांक 09 सितम्बर 2024 को डॉल्फिन (PG) इंस्टीट्यूट ऑफ बायोमेडिकल एंड नेचुरल साइंसेज, देहरादून में स्वयं के माध्यम से बड़े पैमाने पर मुक्त ऑनलाइन पाठ्यक्रमों (MOOCs) के डिजाइन और विकास पर एक सप्ताह तक दिनांक 09 से 14 सितम्बर 2024 तक चलने वाला राष्ट्रीय संकाय विकास कार्यक्रम FDP का प्रारंभ हुआ।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में यूसर्क निदेशक प्रो0 (डा0) अनीता रावत और विशिष्ट अतिथि प्रोफेसर जेएमएस राणा, उपस्थित थे। दोनों गणमान्य व्यक्तियों ने शैक्षिक पहुँच का विस्तार करने और शिक्षण प्रभावशीलता को बढ़ाने में SWAYAM जैसे प्रौद्योगिकी-संचालित शिक्षण प्लेटफार्मों के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आज की शिक्षा प्रणाली में MOOC की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि MOOC ज्ञान प्रदान करने के तरीके में क्रांति ला रहे हैं, भौगोलिक बाधाओं को तोड़ रहे हैं, और सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुँच की अनुमति दे रहे हैैं। और SWAYAM जैसे प्लेटफ़ॉर्म के माध्यम से, हम यह सुनिश्चित करते हुए कि सभी क्षेत्रों के शिक्षार्थी देश भर के शिक्षकों की विशेषज्ञता से लाभान्वित हो सक,ें शिक्षा को लोकतांत्रिक बना सकते हैं।
कार्यक्रम में उत्तराखंड राज्य जैव प्रौद्योगिकी विभाग, उत्तराखंड सरकार के पूर्व निदेशक और उत्तराखंड राज्य लोक सेवा आयोग के पूर्व अध्यक्ष प्रोफेसर जे0एम0एस0 राणा ने भारत में ऑनलाइन शिक्षा की बढ़ती मांग पर बात करते हुए कहा, कि “कोविड-19 महामारी ने ऑनलाइन शिक्षा को अपनाने में तेजी लाई है, और अब हमारे दृष्टिकोण को परिष्कृत और बढ़ाने का समय है।
इस कार्यशाला के माध्यम से, शिक्षक न केवल ऑनलाइन सामग्री बनाना सीखेंगे, बल्कि यह भी सीखेंगे कि आभासी वातावरण में शिक्षार्थियों को प्रभावी ढंग से कैसे जोड़ा जाए और उनका मूल्यांकन कैसे किया जाए, जिससे सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा सुनिश्चित हो सके।
डॉल्फिन इंस्टीट्यूट के चेयरमैन श्री अरविंद गुप्ता ने अपने उद्घाटन भाषण में शिक्षा में डिजिटल परिवर्तन के महत्व पर जोर देते हुए कहा, कि यह कार्यशाला शिक्षकों को अधिक आकर्षक और समावेशी शिक्षण अनुभव के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करने के लिए आवश्यक उपकरणों से सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। MOOC भविष्य हैं, और हमारे संकाय को इन कौशलों से लैस करके, हम यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिक्षा सुलभ, प्रासंगिक और प्रभावशाली बनी रहे।
कार्यशाला के समन्वयक डॉ़ आशीष रतूड़ी ने कहा कि कार्यशाला का उद्देश्य देश भर के संकाय सदस्यों को ऑनलाइन कक्षा प्रबंधन और MOOCs के सह-निर्माण में व्यावहारिक अनुभव प्रदान करना है। प्रतिभागी 9-14 सितंबर, 2024 तक व्यापक प्रशिक्षण सत्रों में भाग लेंगे, जिसमें ई-सामग्री निर्माण, वीडियो और स्क्रीन रिकॉर्डिंग के लिए ओपन-सोर्स टूल, निर्देशात्मक डिज़ाइन और ऑनलाइन पाठ्यक्रम प्रबंधन में सर्वाेत्तम प्रथाओं जैसे प्रमुख पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा। कार्यशाला में ओपन-सोर्स सॉफ़्टवेयर का उपयोग करके ई-सामग्री निर्माण, ओपन एजुकेशनल रिसोर्सेज (OER) के बारे में जागरूकता और एकीकरण, चार-चतुर्थांश मॉडल के आधार पर MOOCs का विकास, ऑनलाइन असाइनमेंट, क्विज़ और आकलन डिज़ाइन करना और ऑनलाइन पाठ्यक्रमों का प्रभावी ढंग से प्रबंधन और मूल्यांकन करना जैसे विषयों पर चर्चा परिचर्चा होगी। वहीं कार्यशाला के अंत तक, प्रतिभागी SWAYAM प्लेटफ़ॉर्म के साथ संरेखित MOOCs बनाने और लागू करने के लिए विज्ञ होंगे, जिससे व्यापक शैक्षिक पहुँच को सक्षम किया जा सकेगा और अपने संबंधित क्षेत्रों में ऑनलाइन सीखने की गुणवत्ता को बढ़ाया जा सकेगा। कार्यक्रम में 100 से अधिक शिक्षक एवं छात्र छात्राएं उपस्थित थे।